Wednesday, December 5, 2012


प्रकृति से लें प्रेरणा

जीवन में ज्ञान और प्रेरणा कहीं से भी एवं किसी से भी मिल सकती है। मित्रों आज मैंने एक कविता पढ़ी , पढकर लगा कि प्रकृति ऐसे अंनत कारणों से भरी हुई है, जो हमें सिखाती है कि जीवन हरपल आनंद से सराबोर है। नदियों का कल कल करता संगीत, झूमते गाते पेङ, एवं छोटे छोटे जीव हमें सिखाते हैं कि जीवन को ऐसे जियो कि जीवन का हर पल खुशियों की सौगात बन जाये।
मैं आपके साथ भी वह कविता बांटना चाहुँगी:
कुकङु कू कहता मुर्गा, जागो जागो ओ नादान
शीध्र सवेरे उठने वाला, पाता है बल विद्यामान।
कू-कू करती कहती कोयल, मीठी बात हमेशा बोल
मेल जोल ही बङी चीज है, कभी न लेना झगङा मोल।
चीं-चीं करती कहती चिङिया हमको बारंबार
संघटन में शक्ती है बङी, दुश्मन जाता जिससे हार।
उपरोक्त कविता में कितनी आसानी से जीव जंतुओं ने अपनी अच्छाईयों से जीवन को संवारने का संदेश दिया है। ऐसे कई जीव हैं जो हमे सकारात्मक जीवन की प्रेरणा देते हैं। कुनबे के साथ रहने वाली चींटी, संर्घष और मेहनत का सजीव उदाहरण है। डॉ. हरिवंश राय बच्चन जी ने अपनी कविता हिम्मत करने वालों की हार नही होती के माध्यम से चीटियों के संर्घष को बहुत ही खूबसूरती से परिलाक्षित किया है।
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढती दिवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ कर गिरना, गिरकर चढना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नही होती ,
कोशिश करने वालों की हार नही होती।
चीटियाँ सिखाती हैं कि स्वयं पर भरोसा रखें। दस में से नौ बार असफल होने के बाद भी हारने के बजाय दोगुने परिश्रम से प्रयास करना ही जीत है। बिना किसी खौफ और रुकावट के आसमान की ऊँचाइयों को छूते बाज के हौसले हमें सिखाते हैं कि राह में आने वाली अङचनों को नये अनुभव का आधार माने। ऊँची सोच रखें, सारा आकाश आपका है।
आत्मसम्मान के साथ जीने का साहस पपीहा एवं राजहंस से सीखा जा सकता है। आत्मविश्वास से लबरेज ये जीव, परिस्थिती से जूझने व आगे बढने की शिक्षा देते हैं। सर्वदा सत्य है कि उत्साह समस्त प्रगती का स्रोत है। मधुमक्खियों की दिनचर्या इस बात का जीता जागता उदाहरण है।
शोधकर्ताओं द्वारा किये अध्ययन से ये साबित हो गया है कि सुबह मधुमक्खियों की पराग इक्कठा करने की क्षमता बेहतर होती है। उङने वाले कीटों में ये सबसे अधिक उपयोगी है। इसकी खासियत है कि ये अपनी रक्षा के लिये हर चुनौती का सामना दिलेरी से करती है। इसका छत्ता प्राकृतिक इंजीनियरिंग का बेजोङ नमूना है। शहद बनाने के कौशल के साथ-साथ यह परागण में मदद कर परहित कार्य भी करती है। इनका जीवन हमें संदेश देता है कि यदि हममे उत्तसाह है तो हम कुछ भी कर सकते हैं। उत्साह है तो सफलता है।
कुछ समय पहले की घटना है। ब्रीटेन में एक बच्चा फिनले, मस्तिष्कघात का शिकार हो गया था। डॉ. के अनुसार वे ताउम्र अपने पैरों पर खङा नही हो सकता था। एक दिन उसकी माँ उसके लिये एक बतख का बच्चा ले कर आई किन्तु संयोगवश उसके पैर में कुछ दिक्कत थी। बतख को पशु चिकित्सक को दिखाया गया। चिकित्सक ने हड्डी जोङने के लिये बतख के पैर में लकङी का टुकङा बाँध दिया। फिनले और बतख की दोस्ती हो गई। फिनले बतख की चाल को बङे गौर से देखता और उसकी नकल कर चलने की कोशिश भी करता। परिणाम ये हुआ की बच्चा चलने लगा।
ऐसी अनगिनत कहानियाँ हैं, जिनमें छोटे-छोटे जीव जन्तुओं ने इंसान के जीवन को अपनी अच्छाइयों से खुशनुमा बना दिया है। मित्रों, यदि हमें जीवन में सफलता के स्वर्णिम सोपानों पर चढना है तो प्रकृति की सभी रचना को सकारात्मक दृष्टीकोंण से देखना चाहिये क्योंकि ऐसा कोई अक्षर नही है, जो मंत्र न हो, ऐसा कोई पौधा नही जो औषधी न हो, ऐसा कोई जीव नही जो जीवन की सच्चाईयों से हमें रूबरू न कराता हो।
प्रकृती का कण-कण जिंदगी की सच्चाई को बंया करता है, जिसे जीवन में अपनाकर जिंदगी को खुशनुमा एवं आनंदमय बना सकते हैं।