Sunday, July 14, 2013

पूजा के बाद क्यों जरूरी है आरती ?


घर हो या मंदिर, भगवान की पूजा के बाद घड़ी, घंटा और शंख ध्वनि के साथ आरती की जाती है। बिना आरती के कोई भी पूजा अपूर्ण मानी जाती है। इसलिए पूजा शुरू करने से पहले लोग आरती की थाल सजाकर बैठते हैं। पूजा में आरती का इतना महत्व क्यों हैं इसका उत्तर स्कंद पुराण में मिलता है। इस पुराण में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन आरती कर लेता है तो भगवान उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं।


आरती का धार्मिक महत्व होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। याद कीजिए आरती की थाल में कौन कौन सी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। आपके जेहन में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन जरूर आ गया होगा। रुई शुद्घ कपास होता है इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती है। इसी प्रकार घी भी दूध का मूल तत्व होता है। कपूर और चंदन भी शुद्घ और सात्विक पदार्थ है।



जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है तो एक अद्भुत सुगंध वातावरण में फैल जाती है। इससे आस-पास के वातावरण में मौजूद नकारत्मक उर्जा भाग जाती है और सकारात्मक उर्जा का संचार होने लगता है।



आरती में बजने वाले शंख और घड़ी-घंटी के स्वर के साथ जिस किसी देवता को ध्यान करके गायन किया जाता है उसके प्रति मन केन्द्रित होता है जिससे मन में चल रहे द्वंद का अंत होता है। हमारे शरीर में सोई आत्मा जागृत होती है जिससे मन और शरीर उर्जावान हो उठता है। और महसूस होता है कि ईश्वर की कृपा मिल रही है। 
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शरीर पर गिरे छिपकली, तो स्नान करना क्यों है जरूरी ?


घर की दीवारों पर आपने छिपकली को जरूर देखा होगा। कभी कभी यह अचानक दीवार से गिर भी जाती है। संयोगवश अगर यह आपके शरीर पर गिर जाए तो कई तरह की आशंकाएं मन में उठने लगती है। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि छिपकली अगर शरीर पर गिर जाए तो तुरंत स्नान कर लेना चाहिए अन्यथा अनहोनी घटनाओं का सामना करना पड़ता है।

बड़े-बुजुर्गों का ऐसा कहना उचित भी है क्योंकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह साबित होता है कि छिपकली का शरीर पर गिरना खतरनाक है। इससे रोग की संभावना रहती है। इसका कारण यह है कि छि‍पकली 'कार्डेटा समूह' के 'फाइलम' वर्ग की जीव है। इस वर्ग के कुछ जीव अपने शरीर में बने जहर (यूरि‍क एसि‍ड) को अपनी चमड़ी पर जमा कर लेते हैं। इस वजह से यह सुरक्षि‍त भी रहते हैं।

जब कभी छि‍पकली किसी के शरीर पर गि‍रती है तो अपने शरीर का जहर उसकी त्‍वचा पर छोड़ देती है। यह जहर बाद में रोम छि‍द्रों से शरीर के भीतर जाकर घाव का रूप ले लेता है। इसीलि‍ए कहा जाता है कि शरीर पर छि‍पकली ‍गिरे तो स्नान कर लेना चाहि‍ए। इस संदर्भ में कई जगह पूजा का भी विधान है।

पूजा में तुलसी के पत्ते का होना अनि‍वार्य है। इसका कारण ये है कि तुलसी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। प्रसाद के तौर पर तुलसी ग्रहण करने पर घाव होने की आशंका काफी कम हो जाती है।

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मांगलिक कार्यों में आम के पत्तों का प्रयोग क्यों?


आम का मौसम अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। कुछ दिनों बाद हो सकता है आप बाजार में आम देखें भी नहीं लेकिन आम के पत्ते आपको साल भर बाजार में फूल माला बेचने वालों के पास दिख जाएंगे।

दरअसल आम के पत्ते मांगलिक कार्य के दौरान बड़े ही शुभ माने जाते हैं। इसके बिना कोई भी शुभ कार्य पूरा नहीं होता है चाहे गृह प्रवेश हो, विवाह अथवा पूजन। गृह प्रवेश एवं हवन के मौके पर तो आम के पत्तों का तोरण भी लगाया जाता है।

इसका धार्मिक कारण होने के साथ ही वैज्ञानिक आधार भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार आम हनुमान जी का प्रिय फल है। इसलिए जहां भी आम और आम का पत्ता होता है वहां हनुमान जी की विशेष कृपा बनी रहती है। इसलिए बुरी शक्तियां एवं नकारात्मक ऊर्जा शुभ कार्य में बाधा नहीं डाल पाती हैं। आम के पत्तों का शुभ कार्य में प्रयोग का कारण यह भी है कि मनुष्य का प्रकृति से साथ संबंध बना रहे।

यह घटना नहीं होती तो आम विदेशों से आता

दूसरी तरफ वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार आम का पत्ता गुणों की खान है। इसके पत्तों में डायबिटीज को दूर करने की क्षमता है। कैंसर और पाचन से संबंधित रोग में भी आम का पत्ता गुणकारी होता है। यानी स्वास्थ्य की दृष्टि से आम का पत्ता लाभदायक होता है।

आमतौर जब आप किसी उत्सव अथवा पूजा-पाठ का आयोजन करते हैं तब चिंता और तनाव बढ़ जाता है कि काम सफलतापूर्वक पूरा हो पाएगा या नहीं। आम के पत्तों में मौजूद विभिन्न तत्व चिंता और तनाव को दूर करने में सहायक होते हैं। इसलिए भी मांगलिक कार्यों में आम के पत्तों का प्रयोग किया जाता है।
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Saturday, February 9, 2013

आप और तिल सन् 2013

शरीर पर तिल होने का फल
माथे पर - बलवान हो
ठुड्डी पर - स्त्री से प्रेम न रहे दोनों बांहों के बीच--यात्रा होती रहे
दाहिनी आंख - पर स्त्री से प्रेम
बायीं आंख पर - स्त्री से कलह रहे
दाहिनी गाल पर - धनवान हो
बायीं गाल पर - खर्च बढता जाए
होंठ पर - विषय-वासना में रत रहे
कान पर - अल्पायु हो
गर्दन पर - आराम मिले
दाहिनी भुजा पर - मान-प्रतिष्ठा मिले
बायीं भुजा पर - झगडालू होना
नाक पर - यात्रा होती रहे
दाहिनी छाती पर - स्त्री से प्रेम रहे
बायीं छाती पर - स्त्री से झगडा होना
कमर में - आयु परेशानी से गुजरे
दोनों छाती के बीच - जीवन सुखी रहे
पेट पर - उत्तम भोजन का इच्छुक
पीठ पर - प्राय: यात्रा में रहा करे
दाहिने हथेली पर - बलवान हो
बायीं हथेली पर - खूब खर्च करे
दाहिने हाथ की पीठ पर - धनवान हो
बाएं हाथ की पीठ पर - कम खर्च करे
बाएं हाथ की पीठ पर - कम खर्च करे
दाहिने पैर में - बुद्धिमान हो
बाएं पैर में - खर्च अधिक हो

सफलता का पैमाना


Criteria for Success
           सफलता का पैमाना

सफल मनुष्य हर बार गिरकर उठते रहते हैं। वे कर्म-पथ पर अग्रसर ही रहते हैं। विफलता उनको एक नया पाठ पढ़ाकर चुनौती के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। थोड़ा ऊंचा सुनने वाले और अध्ययन के योग्य न होने के कारण स्कूल से निष्कासित कर दिए जाने वाले थॉमस एडिसन ने अनेक बार विफल रहने के बाद विद्युत-बल्ब का आविष्कार किया था। 40 वर्ष की अवस्था में हेनरी फोर्ड ने दिवालिया हो जाने के बाद भी पहली बार कार बनाई थी। क्या वे सफल व्यक्ति नहीं थे? अब्राहम लिंकन के जीवन में सिर्फ विफलताएं भरी पड़ी थीं, परंतु अंतत: 52 वर्ष की अवस्था में वह अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित किए गए थे। जिंदगी में विफलता तो मिलेगी ही। विफलता सफलता की जननी है। आज की भाषा में यों कहें कि यह एक 'ड्राइविंग' फोर्स बनती है, जो सफलता की गाड़ी चलाने में सहायता करती है। हर विफलता के बाद हमें स्वयं से प्रश्न करने होंगे- इस घटना में हमने क्या पाया और क्या खोया? हर किसी के जीवन में सफलता मिलने और न मिलने के क्षण आते हैं।
जहां सफलता ही किसी को प्रसन्नता प्रदान करती है वहीं असफलता अप्रसन्नता और अवसाद का कारण बनती है। कुछ लोग स्वयं को दुनिया का सबसे हतभाग व्यक्ति मानकर चिंताग्रस्त हो जाते हैं। धीरे-धीरे, चिंता की यह प्रवृति उनके व्यक्तित्व पर इस तरह प्रभावी हो जाती है कि उनके जीवन का प्रत्येक पक्ष 'कृष्णपक्ष' बनकर रह जाता है। रही बात भाग्य की तो यह जान लीजिए कि तथाकथित भाग्य आपके कर्म पर निर्भर करता है। सफलता भाग्य से नहीं प्राप्त होती, अपितु विश्वास के साथ की गई समुचित कार्ययोजना की तैयारी, इच्छाशक्ति और प्रतिबद्घता के बल पर अर्जित की जाती है। आपको चिंताग्रस्त नहीं होना है। आपको इस सत्य से साक्षात् करना होगा कि 'भाग्य' का अस्तित्व नहीं होता, मनुष्य अपनी अयोग्यता और शक्ति की हीनता पर आवरण डालने का उपक्रम करने के लिए तथाकथित भाग्य को बैसाखी के रूप में 'इस्तेमाल' करता है। जब तक नकारात्मकता के स्थान पर सकारात्मकता की स्थापना नहीं होगी तब तक सफलता हमसे दूर है।
[डॉ. पृथ्वीनाथ पांडेय]

Sunday, January 6, 2013

दिल की सुनने में आने वाले 7 challenges !

हम  अक्सर  सुनते  हैं  कि  हमें  अपने  दिल की सुननी चाहिए …जिस  काम  में  मन  लगे  वो  करना  चाहिए …अपने  passion को  follow करना  चाहिए …, उसी को अपना career बनाना चाहिए …etc.  ये  बातें  बिलकुल  सही  हैं , मैंने  खुद  भी  अपने  कुछ  articles में  इन चीजों पर जोर दिया है ,  पर एक सच ये भी है कि  हममे  से  ज्यादातर  लोग  ऐसा  नहीं  करते. तो सवाल उठता है कि क्यों ज्यादातर लोग लाइफ में जो आसानी से मिल जाता है उसे ही अपनी किस्मत मान लेते हैं और  बस  यूँही  सस्ते  में  अपनी  ज़िन्दगी  बिता  देते  हैं ?
ऐसा शायद   इसलिए  होता  है  क्योंकि  दिल  की  सुनना   आसान  नहीं  होता …इसमें  कई  challenges आते  हैं , और  आज  मैं  ऐसे  ही  कुछ  challenges के  बारे में  आपसे  अपनी  thoughts share कर  रहा  हूँ .  इन्हें  share करने  का  मेरा  motive ये  है  कि  यदि  आप  उनमे  से  हैं  जो   अपने  सपनो   को  पूरा  करने  में  लगे  हैं  या future में लगने वाले हैं तो   इन  challenges से  घबराएं  नहीं …आप  अकेले  इनका  सामना  नहीं  कर  रहे  हैं …आपकी  gene का  हर  आदमी  more or less in challenges को  face करता है ,  कुछ इनके आगे निकल  जाते  हैं तो कुछ हार मान लेते  हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!
तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :
1)      Society का  opposition:
यदि  आपका  passion लीक  से   हटकर  हो  तो  आप  को  समाज  के  विरोध  के  लिए  तैयार  रहना  चाहिए . सबसे  ज्यादा  opposition तो  आपकी  family से  ही  हो सकता है …क्योंकि  वही  आपकी   सबसे  अधिक  चिंता  करते  हैं . ख़ास  तौर  पर  middle class families जहाँ  job को  ही  सबसे  safe माना  जाता  है  वहां  यदि  आप  कुछ  entrepreneurial करने  का  सोचते  हैं  तो  family आपके  खिलाफ  हो  जाती  है . उनका विरोध  human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या  कुछ  नए  को  accept करने  से  डरते  हैं  ….पर  जब  आप  अपने  काम  में  लगे  रहते  हैं  तो  धीरे  धीरे  वही  लोग  आपकी  मदद  में  सामने  आ   जाते  हैं . इसलिए  इस  initial opposition को  part of process समझें  और  इससे  घबराये  नहीं . जहाँ  तक  हो  सके  बस  अपनी  family को  confidence में  लेने  का  प्रयास  करें , बाकियों  का  तो  सोचे  भी  नहीं .
2)      दोस्त  आगे  निकल  जाते  हैं :
सभी  का  अपना -अपना  friend circle होता  है , मौज – मस्ती  होती  है .. exam की  tension होती  है … हम  बड़े  होते  हैं  और  फिर  ज़िन्दगी  की  so called race में  लग  जाते  हैं …..ज्यादातर   लोग  conventional wisdom अपनाते  हुए , doctor ,engineer, सरकारी  नौकरी …etc के  चक्कर  में  लग जाते  हैं  और  देर -सबेर  इसमें  कामयाब  भी  हो  जाते  हैं . अगर  सचमुच  आप  दिल  से  यही  करना  चाहते  थे तो  इसमें  कोई  बुराई  नहीं  है ….दिल  की  सुनना  हमेशा ….singer , cricketer या  actor बनना ही नहीं  होता ….ये  Engineer, doctor बन  कर  देश  की  सेवा  करना  भी  हो  सकता  है .  और  एक  दूसरे  case में  भी  यह  करना  सही  है – जब  आप  clear नहीं  होते  की  आप  दरअसल  life में  करना  क्या  चाहते  हैं,  तो  भी  आप  यही  रास्ता  चुन सकते हैं  ..इसमें  कम  से  कम  आप  financially secure रहेंगे , जो  कि  बेहद  ज़रूरी  है .
Challenge तब  आता  है  जब  आप  अपने  life goals को  लेकर  clear होते  हैं , और  अपने  रास्ते  पर  निकल  पड़ते  हैं .  और  ऐसा  life की  किसी  भी stage में    हो  सकता  है , पहले  हो  जाता  है  तो  ठीक  है , पर  अधिकतर  ये  clarity थोड़ी  देर  से  आती  है  इसलिए  जब  आप  इस  दिशा  में  बढ़ते  हैं  तो  आप  पाते  हैं  कि  अभी  आपने  शुरुआत  भर  की  है  और  आपके  बाकी  दोस्त  conventional path follow करते  हुए  एक  well- settled life ( society की  नज़र  में ) की  तरफ  बढ़  चुके  हैं .  यहाँ  आपको  थोड़ी  उलझन  हो  सकती  है , आपके  मन  में  doubt आ  सकता  है  कि  आप  ही  की  उम्र  के  लोग  इतने  पैसे  कमा  रहे  हैं  और  आप  अभी  struggle ही  कर  रहे हैं …..ऐसा  लग  सकता  है  कि  आप  कहीं  गलती  तो  नहीं  कर  रहे  हैं , और  यहीं  पर  आपको  डंटे  रहना  है .
अपने  काम  में  believe करिए , इन  distractions की  life बहुत  छोटी  होती  है , अगर  आप  सचमुच  अपने  काम  को  लेकर  passionate हैं  तो  आप  जल्द  ही  इनसे  पार  पा  लेंगे .  जब  अमिताभ  बच्चन  को  27-28 साल  की  उम्र  में  पहली  बार   फिल्मो में  ब्रेक  मिला  था  तो  उस  वक़्त  तक  उनके  भी  बहुत  सारे  classmates अच्छी  नौकरियों  में   settle हो  चुके थे , ऐसे  में उनके  भी  अन्दर  सवाल  उठे  होंगे , पर  उन्होंने  उन  distractions को  खुद  पर  हावी  नहीं  होने  दिया  और  इतने  महान  अभिनेता  बने .
आप  भी  औरों   के  आगे  निकलने  से  परेशान  मत  होइए , ….लम्बी  race के  घोड़े  शुरू  में  धीमे-धीमे  ही  दौड़ते  हैं .
3)      सफलता  के  लिए  लम्बा  इंतज़ार :
कई  बार  लोग  कामयाबी  के  बहुत  करीब  पहुच  कर  हार  मान  लेते  हैं . आपको  ध्यान  देना  होगा  कि  आप  अपने  काम  को  अंजाम  तक  पहुचाएं , किसी  भी  काम  को  करने  में  time तो  लगता  ही  है  और  जब  काम  बड़ा  हो  तो  समय  भी  बड़ा  लगता  है .
Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी  अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.
4)      आपके  दिल  का  काम  financially rewarding ….नहीं  भी  हो  सकता  है  :
May be आप  जिस  चीज  को  लेकर  passionate हैं  वो  आपको  satisfaction तो  दे  पर  उतने  पैसे  ना दे . For example आप  as a social activist काम  करना  चाहते  हों , या  किसी  NGO के  लिए  अपना  time देना  चाहते  हों .  तो  ऐसे  में  आपको  पहले  से  अपना  mind make-up कर  के  रखना  होगा  कि  आप  वो  पा  रहे  हैं  जो  पैसे  से  नहीं  पाया  जा  सकता  और  इसी  सोच  के  साथ  आपको  अपने  काम  में  लगे  रहना  होता  है .
यहाँ  मैं एक  चीज  ज़रूर  कहना चाहूँगा  कि  ऐसी  fields में  भी  जब  आप  fully involved हो  कर  काम  करते  हैं  तो  देर -सबेर  आपको  financially भी  इसका  reward मिलता  है , आप  निःस्वार्थ  भाव  से  अपने  काम  में  लगे  रहिये  आपका  काम  ही  आपका  reward है .
5)      Boredom:
 ऐसा भी  होता  है  कि आप   जिस  चीज को  करना बहुत अधिक  पसंद  करते  हैं  उसी  को  करने  में  बोरीयत  होने  लगे , ऐसे  में  आपको  ये  नहीं  सोचना  चाहिए  कि  आपका  passion ख़तम  हो  गया  है  बल्कि  अपने  काम  को  interesting बनाने  के  लिए  नए  तरीके  और  ideas खोजने  चाहिए . कुछ  दिन  में  खुद -बखुद  boredom ख़तम  हो  जायेगा  और  आप  फिर  से  उसी  जोशो -जूनून  के  साथ  अपने  dream को  pursue कर  पायेंगे .
इतना  ध्यान  रखिये  कि  अपने  दिल  की  सुनने  वाला  हर एक  सफल  व्यक्ति  कभी  ना  कभी  इस  phase से  गुजरता  है  इसलिए  अगर  आप  भी  इस  phase से  गुजरें तो  just be relaxed….ये  भी  सफलता   के  मार्ग  में  आने  वाले  एक  पड़ाव  भर  है .
6)      Focus loose करना  :
I think ये  सबसे  बड़ा  challenge है  जो  ज्यादातर  सपनो  को  पूरा  नहीं  होने  देता . मेरी तरह आपने भी कई  बार  लोगों  को  यह  कहते   सुना होगा   कि  , “ Well begun is half done….पहला  step लेना  ही  सबसे  कठिन  है  उसके  बाद  सब  हो  जाता  है ….etc” पर  मुझे  लगता  है  कि  पहला  step लेना  आसान  है , आप  कोई  भी  काम  कुछ  effort डाल  कर  शुरू  कर  सकते  हैं …कठिन  तो  उसे  पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.
होता  क्या  है  कि  आप  पूरी  energy के  साथ  अपने  दिल  के  कहे  रास्ते  पर  बढ़ते  हैं  , पर  कुछ दूर  जाने  के  बाद  ही  आपको  कई  नए  alternatives दिखने  लगते  हैं ….आपके  मन  में  आने  लगता  है  कि  शायद  ये  काम  छोड़  कर  वो  करें  तो  ज्यादा  अच्छा  रहेगा … फिर  आप  जो  कर  रहे  होते  हैं  उसमे  आपका  focus कम  होने  लगता  है …आप  दूसरी  idea की  तरफ  attract होने  लगते  हैं …और  ऐसा  करने  से  आप  जो  कर  रहे  होते  हैं  उसमे  भी  आप  अपना  100% नहीं  दे  पाते  हैं  and ultimately success से  दूर  रह  जाते  हैं . इसलिए  ज़रूरी  है  कि  आप  अपने  आगाज़  को  अंजाम  तक  पहुंचाएं , बीच  में  अपना  focus ना  loose करें .
स्वामी विवेकानंद ने  भी  सफल  होने  के  लिए  यही  मन्त्र  दिया  है , “
“ एक विचार लो . उस  विचार  को  अपना जीवन  बना  लो - उसके  बारे  में  सोचो  उसके  सपने  देखो , उस  विचार  को  जियो  . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर  के  हर  हिस्से  को  उस विचार में  डूब  जाने  दो , और  बाकी  सभी विचार  को  किनारे  रख  दो . यही सफल  होने  का तरीका  है.”
7)      आपको  ये  पता  चलना  कि  आप  जो  कर  रहे  हैं  वो  आपका  passion नहीं  है :
Shockingggg !!! लेकिन  ये  एक  बहुत  ही  common  scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं  .
हर  दिन  हर  पल  हम  बदल  रहे  हैं , हम  तब  तक  अपनी  true liking नहीं  जान  पाते  जब  तक  हम  उस  काम  को  practically कर  के  नहीं  देखते . हम  कोई  article पढ़  के , कोई  program देख  के, किसी  दोस्त  के  influence में , या  किसी  और  वजह  से  किसी  काम  को   अपना  passion समझ  लेते  हैं  और  उसे  करना  शुरू  करते  हैं  पर  कुछ  दिनों  बाद  ही  हम उस  काम  से  उबने  लगते  हैं , to the extent that हम  उसे  करना  ही  नहीं  चाहते . यह  कुछ  कुछ  Boredom जैसा  ही  है  पर  ये  boredom का  बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप  है  जिसमे  आप  धीरे -धीरे  उस  काम  को  ना  करने  के  excuses खोजने  लगते  हैं .
जब  ऐसा  हो  तो  क्या  करें ? Simple, अपने  नए  passion की  तालाश  शुरू  करें , और  उसे  भी  practically apply करके  देखें , और  अगर  इस  बार  भी  आपको  लगे  कि ये आपके  दिल  की  आवाज़  नहीं  है  तो  फिर  अपने  असली  जूनून  को  खोजने  में  जुट  जाएं .  ये  जीवन  भर  बेमन  का  काम  करने  से  अच्छा  है  कि  देर  से  ही  सही  पर  आप  अपना  passion खोज  पाएं , और  जब  तक  आपको  यह  नहीं  मिलता  तब  तक  खुद  को  financially support करने  के  लिए  कुछ  और  भी  करते  रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर  अपने  passion की  तालाश   को  रोकें  नहीं …उसे  खोज  निकालें …एक दिन यही  खोज  आपको  mediocre life से निकाल  कर  superior life की  तरफ  ले जायेगी.
Friends, तो  ये  थे  वो  सात  challenges जो  आमतौर  पर  आपको   दिल  की  आवाज़  सुनने   में  face करने  पड़ सकते  हैं , पर ध्यान रहे कि ये  कोई  comprehensive list नहीं  है  , इसके  आलावा  भी  कई  और  challenges हैं  जो  आपके  सामने  आ  सकते  हैं  , जैसे  कि  पैसों  की  कमी , परिवार  की  जिम्मेदारी , etc. पर  इन  सब  के  बावजूद passionate लोग  वो  सब  कुछ  कर  गुजरते  हैं  जो  वो  करना  चाहते  हैं ….आप  भी  इन  challenges की  वजह  से  अपने  जोश  को  ठंढा  मत  पड़ने  दीजिये  और  अपने  dreams को  reality बना  कर  दिखाइए , तभी  जीने  का  असली  मजा  है .
All the best :) 

SABHAAR-